टुकड़ों पे पलने की आदत सी है मुझे,
कीमत से अधिक की दानत सी है मुजे।
कर्म न करते हुए भी फल की फिक्र करता हूँ ,
रस्ते पे रहकर भी स्वप्नमहल में लेटा हूँ।
रोटी-कपडा-मकान से अधिक की आशा करने वालों को शायद पता नहीं,
की कपडे के मकान में रहनेवाले, रोटी की सिर्फ आशा ही कर सकते है।
की कपडे के मकान में रहनेवाले, रोटी की सिर्फ आशा ही कर सकते है।
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