बेगम रुकसाना बीबी मैं मंसूर लालीवाला आपका इकलौता शौहर एक दरख्वास्त लिए आया हूँ,
उस जले टिंडे की भी क्या सुहावनी सी बात थी,
भाप से भीगे फुलककों पर तुम्हारे स्पर्श का वह एहसास,
पापड की करारी ध्वनि पर तुम्हारी मंद मुस्कान का आभास,
मुझे याद है जब नन्ही फरीदा की खबर कैसे अचार के बहाने सुनाई थी तुमने,
मुझे याद है तिलगुड़ की इच्छा को कैसे मोतीचूर के बहाने तृप्त करवाई थी हमने।
आज आहार तो बस एक आखरी पूल है पुराने प्यार के टापू पोहोंचनेका ,
टिफ़िन की बातें तोह बस बहाना है तुम्हारे हालेदिल का स्वाद जाननेका।
काश वह नंगे लिपटे जिस्मों की रातें वहीँ थम जाती,
अधूरी रहगई सारी वह बातें लापता बन न बेहजाती।
भौतिक बुनियादों को पक्की करने में यूँ ज़िन्दगी न जुट जाती,
तेरे झुमके गिरवी रखवाने से पहले काश मेरी आँखें खुल जाती।
हाँ, आज भी पुराना प्यार ढूंढता, राह भटक जाता हूँ मैं,
भीनी आँखों की नमी झटकता हर शाम घर आता हूँ मैं।
कृपया अपनी एकाग्रता को इस दिशा एकत्र कीजियेगा।
उस जले टिंडे की भी क्या सुहावनी सी बात थी,
खाला की बनाई सिवइयों भी इसके आगे खाख थी,
जैसे मधुमास पर बिस्तर की दायीं ओर रखा हल्दी का दूध भी चाशनी सा मिष्ठी लगता है,
तुम्हारी सब्ज़ी में डाला कश्मीरी लाल मिर्च भी कुछ दालचीनी सा स्वादिष्ट लगता है।
तुम्हारी सब्ज़ी में डाला कश्मीरी लाल मिर्च भी कुछ दालचीनी सा स्वादिष्ट लगता है।
भाप से भीगे फुलककों पर तुम्हारे स्पर्श का वह एहसास,
पापड की करारी ध्वनि पर तुम्हारी मंद मुस्कान का आभास,
मुझे याद है जब नन्ही फरीदा की खबर कैसे अचार के बहाने सुनाई थी तुमने,
मुझे याद है तिलगुड़ की इच्छा को कैसे मोतीचूर के बहाने तृप्त करवाई थी हमने।
आज आहार तो बस एक आखरी पूल है पुराने प्यार के टापू पोहोंचनेका ,
टिफ़िन की बातें तोह बस बहाना है तुम्हारे हालेदिल का स्वाद जाननेका।
काश वह नंगे लिपटे जिस्मों की रातें वहीँ थम जाती,
अधूरी रहगई सारी वह बातें लापता बन न बेहजाती।
भौतिक बुनियादों को पक्की करने में यूँ ज़िन्दगी न जुट जाती,
तेरे झुमके गिरवी रखवाने से पहले काश मेरी आँखें खुल जाती।
हाँ, आज भी पुराना प्यार ढूंढता, राह भटक जाता हूँ मैं,
भीनी आँखों की नमी झटकता हर शाम घर आता हूँ मैं।